बुधवार, फ़रवरी 5, 2025

Top 10 Hindi Story for Kids

बच्चों की कहानियां हमेशा उनकी दुनिया को रोचक और रंगीन बनाती हैं। बच्चों के लिए हिंदी कहानी (Hindi Story for Kids) के माध्यम से बच्चे न केवल मनोरंजन पाते हैं, बल्कि अच्छे संस्कार, नैतिक मूल्य और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सीखते हैं। इस ब्लॉग मे बच्चों के लिए हिंदी कहानी (Hindi Story for Kids), जैसे पशु, पक्षी और परियों के बीच दोस्ती और साहस की अद्भुत दुनिया बसी हुई है। यहां हर चरित्र अपने आप में खास है और उनके रोमांचक अनुभव बच्चों को नई कल्पनाओं में खो जाने का अवसर देते हैं। तो, चलिए इस जादुई सफर पर निकलते हैं, जहाँ हर कदम पर एक नई सीख और मज़ा छिपा हुआ है।

1. Hindi Story for Kids: दूध से भरा तालाब (A Pond Full of Milk)

A Pond Full of Milk

बहुत समय पहले, एक छोटे से गांव में लोग बड़े ही साधारण जीवन जीते थे। वहां हर किसी के पास अपनी जरूरत भर का ही सामान होता था। लेकिन गांव के लोग अपनी एकता और भाईचारे के लिए प्रसिद्ध थे। वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे।

गांव के बीचों-बीच एक बड़ा तालाब था, जिसे लोग “गांव का गर्व” कहते थे। हर कोई इस तालाब से पानी भरता, जानवरों को पानी पिलाता, और गर्मियों में इसके किनारे आराम करता।

गांव का फैसला: एक दिन गांव के सरपंच, बुजुर्ग रामलाल, ने गांव की चौपाल में सभी को बुलाया। उन्होंने कहा, “हमारा गांव अपनी एकता और प्रेम के लिए जाना जाता है। लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपनी एकता का प्रमाण दें। मैं चाहता हूं कि हर घर से एक बाल्टी दूध इस तालाब में डाली जाए। इससे हमारा तालाब दूध से भर जाएगा, और यह हमारी एकता का प्रतीक बनेगा।

सभी ने तालियां बजाईं और रामलाल की बात से सहमति जताई। गांववालों ने तय किया कि अगले दिन सूरज उगने से पहले हर घर से एक व्यक्ति आएगा और तालाब में दूध डालेगा।

चालाकी का विचार: रात में, एक किसान जिसका नाम मोहन था, सोचने लगा, “अगर सब लोग दूध लाएंगे, तो मेरे एक बाल्टी पानी डालने से क्या फर्क पड़ेगा? इतने दूध में मेरा पानी कौन पहचान पाएगा?” उसने अपना मन बना लिया कि वह दूध की जगह अब पानी डालेगा।

अंधेरे में दूध डालने का समय:

अंधेरे में दूध डालने का समय

अगले दिन, हर कोई अपनी बाल्टी लेकर तालाब की ओर चला। सुबह का समय था, और अंधेरा अभी पूरी तरह छटा नहीं था। लोग चुपचाप अपनी बाल्टी तालाब में उड़ेलते जा रहे थे। मोहन ने भी अपनी पानी की बाल्टी बिना किसी झिझक के तालाब में डाल दी।

सच उजागर हुआ: जब सूरज उगा, तो सभी गांववाले तालाब के पास इकट्ठा हुए। वे यह देखने के लिए उत्साहित थे कि तालाब दूध से भरा हुआ है। लेकिन जब उन्होंने तालाब की ओर देखा, तो सबके चेहरे पर हैरानी और शर्म के भाव थे। तालाब दूध की जगह पानी से भरा हुआ था। वहां एक बूंद भी दूध नहीं था।

रामलाल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “मैं समझ गया हूं कि ऐसा क्यों हुआ। हर किसी ने सोचा होगा कि अगर वह सिर्फ पानी डाल देगा, तो इतने दूध में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन हर किसी ने ऐसा ही किया। इसलिए तालाब में पानी ही रह गया।” गांववालों को अपनी गलती का एहसास हुआ। वे यह समझ गए कि अगर हर कोई अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने से पीछे हटेगा, तो एकता का मतलब खत्म हो जाएगा।

सबक और नया वादा: रामलाल ने फिर कहा, हम सबने एक बड़ी गलती की है, लेकिन इससे हमें एक अहम सबक मिला है। हमारी एकता का मतलब है कि हम सभी अपना-अपना कर्तव्य निभाएं। चलो, आज से हम वादा करें कि हम हर काम में ईमानदारी दिखाएंगे और अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे।

गांववालों ने जोर से कहा, “हम वादा करते हैं!”

उस दिन के बाद से, गांव में एक नई ऊर्जा आ गई। लोग अब न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए सोचने लगे। तालाब का पानी फिर से साफ और निर्मल हो गया। और गांववालों ने सीख लिया कि एकता का मतलब सिर्फ इकट्ठा होना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाना भी है।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाए, तो समाज और दुनिया बेहतर बन सकती है। किसी भी बड़े काम के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है, और हर किसी का योगदान मायने रखता है।

2. Hindi Story for Kids: दुनिया मत बदलो (Don’t Change The World)

Don't Change The World in Hindi

प्रस्तावना (Summary): हर इंसान के भीतर एक सपना होता है कि वह दुनिया को बेहतर बनाए। लेकिन क्या सच में दुनिया को बदलना जरूरी है? या अपने आस-पास की छोटी-छोटी चीज़ों को बदलने से ही सब कुछ ठीक हो सकता है? यह कहानी एक छोटे से गाँव के युवा कृष्णा की है, जो दुनिया बदलने के बजाय अपनी सोच और अपने आसपास की दुनिया को बेहतर बनाकर एक बड़ी सीख देता है।

कहानी प्रारंभ: गाँव का नाम था सुखपुर। यह गाँव अपनी सादगी और हरियाली के लिए जाना जाता था। गाँव में लोग खुश रहते थे, लेकिन फिर भी एक समस्या हर किसी को खलती थी—गंदगी। गाँव के तालाब और गलियाँ कूड़े-कचरे से भरी रहती थीं। कृष्णा, जो गाँव के स्कूल में पढ़ता था, इस समस्या से बहुत परेशान था।

कृष्णा का सपना: कृष्णा बार-बार सोचता, “अगर मैं कुछ बड़ा कर सकूं, तो इस गाँव को एक आदर्श गाँव बना दूं।” वह अक्सर स्कूल में अपने अध्यापकों से सवाल करता, “गाँव की गंदगी को कैसे हटाया जा सकता है?” लेकिन जवाब हमेशा यही मिलता, “यह सरकार का काम है। हम कुछ नहीं कर सकते।” कृष्णा इस जवाब से संतुष्ट नहीं था। वह समझ चुका था कि सिर्फ दूसरों पर निर्भर रहकर कुछ नहीं बदलेगा। उसे खुद कुछ करना होगा।

एक छोटी सी शुरुआत: एक दिन कृष्णा ने सोचा कि क्यों न वह खुद सफाई का काम शुरू करे? अगले दिन वह स्कूल की छुट्टी के बाद अपने दोस्तों के साथ गाँव के तालाब की ओर गया। उसने देखा कि लोग वहाँ प्लास्टिक, बोतलें और कूड़ा फेंकते हैं। कृष्णा ने अपने दोस्तों से कहा, “अगर हम इसे साफ करेंगे, तो लोग शायद इसे गंदा करना बंद कर देंगे।”

शुरुआत में दोस्तों ने हँसी उड़ाई, लेकिन कृष्णा की मेहनत देखकर वे भी साथ आ गए। उन्होंने अपनी पुरानी बाल्टी और झाड़ू लेकर तालाब के किनारे सफाई शुरू की। यह काम कठिन था, लेकिन कृष्णा का उत्साह दूसरों को प्रेरित कर रहा था।

लोगों की प्रतिक्रिया: गाँव के बुजुर्ग यह देखकर चौंक गए। उन्होंने कृष्णा से पूछा, “बेटा, यह काम क्यों कर रहे हो? यह तो सफाईकर्मियों का काम है।” कृष्णा ने जवाब दिया, “अगर हम खुद अपने गाँव की सफाई नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? यह हमारा घर है, और इसे साफ रखना हमारी जिम्मेदारी है।”

धीरे-धीरे, गाँव के और लोग भी इस अभियान में शामिल हो गए। हर रविवार को गाँव के लोग मिलकर सफाई करते। इस पहल को नाम दिया गया—”हमारा सुखपुर, स्वच्छ सुखपुर।”

बदलाव की लहर: सिर्फ सफाई से ही बदलाव नहीं आया। कृष्णा ने महसूस किया कि शिक्षा की भी कमी है। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक छोटा लाइब्रेरी खोलने का फैसला किया। गाँव के बड़े लोग पुरानी किताबें दान करने लगे। बच्चों के लिए वहाँ पढ़ाई का माहौल बनने लगा। अब गाँव के लोग कृष्णा को “बदलाव का नेता” कहने लगे। लेकिन कृष्णा ने हमेशा यही कहा, “मैंने कुछ नहीं बदला। मैंने सिर्फ वही किया जो सही लगा।”

एक बड़ा संदेश: कुछ महीनों बाद, गाँव में एक रिपोर्टर आया। उसने कृष्णा से पूछा, “तुम इतने छोटे हो और इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हो। क्या तुम सच में सोचते हो कि तुमने दुनिया बदल दी?” कृष्णा मुस्कुराया और बोला, “दुनिया बदलना मेरा मकसद नहीं है। मैंने सिर्फ अपनी छोटी सी दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाने की कोशिश की। अगर हर कोई अपने आस-पास की छोटी दुनिया को बेहतर बनाए, तो पूरी दुनिया खुद-ब-खुद बदल जाएगी।”

कहानी का संदेश (Moral of The Story): कृष्णा की इस सोच ने न केवल सुखपुर गाँव को एक नई दिशा दी, बल्कि हर किसी को यह सीख दी कि दुनिया बदलने के बड़े सपने देखने से पहले अपने आस-पास के बदलाव से शुरुआत करनी चाहिए। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।

“दुनिया मत बदलो, अपनी दुनिया को बेहतर बनाओ।”

3. Hindi Story for Kids: यात्रियों और पेड़ (The Travelers And The Tree)

यात्रियों और पेड़

गर्मियों के एक तपते दिन, दो घुमक्कड़ दोस्त, अजय और विजय, एक लंबी यात्रा पर निकले। सूरज सर पर आग उगल रहा था, और उनके पैरों के नीचे की ज़मीन जल रही थी। चारों ओर सिर्फ़ रेगिस्तान और सूखी ज़मीन फैली हुई थी। दोनों के पास पानी की एक बोतल और खाने के लिए कुछ सूखे मेवे थे।

चलते-चलते, जब उनका दम फूलने लगा, तभी उन्होंने एक विशाल पेड़ को देखा। उस पेड़ की हरी-भरी शाखाएँ मानो आसमान को छू रही थीं और उसकी छाया किसी राहत का वादा कर रही थी।

अजय ने कहा – “विजय, देखो! वह पेड़ हमें बचा सकता है”

विजय ने जवाब दिया – “हाँ, चलो उस पेड़ के नीचे बैठकर कुछ देर आराम करते हैं”

दोनों पेड़ की ओर दौड़ पड़े और उसकी घनी छाया में बैठ गए। वहाँ बैठकर उन्होंने अपनी पानी की बोतल निकाली और ठंडे पानी के घूँट भरे। हवा में पेड़ की पत्तियों की सरसराहट थी, जो उनके कानों में जैसे संगीत बजा रही थी। कुछ देर बाद, अजय ने कहा, “यह पेड़ कितना अद्भुत है। अगर यह न होता तो हम इस गर्मी में शायद ज़िंदा न रहते।”

“हम्म,” विजय ने कुछ सोचते हुए कहा, “परंतु इस पेड़ से हमें कुछ लाभ नहीं हो रहा। न यह फल देता है, न लकड़ी। सिर्फ़ छाया देना ही कोई बड़ी बात नहीं है।” यह सुनकर अजय ने हैरानी से विजय की ओर देखा। उसने कहा, “विजय, तुम ऐसा क्यों सोचते हो? पेड़ ने हमें छाया दी है, गर्मी से बचाया है। क्या यह काफी नहीं?”

विजय ने जवाब दिया – मेरा मतलब यह है की,”अगर यह पेड़ हमें और कुछ दे सकता, तो यह और उपयोगी होता।” तभी एक अजीब बात हुई। उस पेड़ की पत्तियाँ धीरे-धीरे हिलने लगीं, जैसे हवा में सरगर्मी हो रही हो। फिर अचानक, एक गहरी, गंभीर आवाज़ सुनाई दी।

पेड़ ने जवाब दिया – “हे यात्रियों, तुम मेरे बारे में क्या सोच रहे हो?” दोनों दोस्त चौंक गए। उन्होंने चारों ओर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। फिर वह आवाज़ फिर से आई। “यह मैं हूँ, वह पेड़ जिसके नीचे तुम बैठे हो।” “पेड़ बोल रहा है!” विजय ने डरते हुए कहा।

“हाँ, मैं बोल सकता हूँ,” पेड़ ने उत्तर दिया। “तुम मेरी छाया में आराम कर रहे हो, और फिर भी मुझे बेकार कह रहे हो। तुम जैसे इंसानों की स्वार्थी सोच ही दुनिया के विनाश का कारण है।” अजय ने झुककर पेड़ से माफी मांगी। उसने कहा, “मुझे खेद है, पेड़। विजय ने जो कहा, वह सही नहीं था। तुमने हमें अपनी छाया दी और हमारे जीवन की रक्षा की। हम इसके लिए आभारी हैं।”

पेड़ ने गहरी सांस ली, और उसकी शाखाएँ थोड़ी और हिलने लगीं। “तुम जैसे लोग जो प्रकृति की कद्र करते हैं, वे दुनिया के लिए आशा की किरण हैं। लेकिन विजय जैसे लोगों को यह समझने की जरूरत है कि हर चीज़ का महत्व मापा नहीं जा सकता।” विजय ने सिर झुका लिया। उसने महसूस किया कि उसने गलत बात की थी। “मुझे माफ कर दो,” उसने कहा। “मैंने तुम्हारी महानता को नहीं समझा।”

पेड़ ने कहा, “इंसान, अगर तुम प्रकृति का सम्मान करना सीखोगे, तो यह तुम्हें हमेशा सहारा देगी। पर यदि तुम इसे नुकसान पहुँचाओगे, तो तुम्हारा भी अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।”

इसके बाद, दोनों दोस्तों ने पेड़ का धन्यवाद किया और वहां से निकलने से पहले प्रण किया कि वे प्रकृति की रक्षा करेंगे। यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक बन गई। अब, जब भी वे किसी पेड़ के पास जाते, तो सिर झुका कर उसका धन्यवाद करना नहीं भूलते। और वह पेड़, जो शांत और स्थिर खड़ा था, यह देखकर खुश था कि उसने दो और इंसानों को प्रकृति का महत्व समझाया था।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): प्रकृति का सम्मान करना जरूरी है। हर जीव और वस्तु का अपना महत्व होता है। स्वार्थपूर्ण सोच से बचना चाहिए।

4. Hindi Story for Kids: गलतियों से सीखें (Learn From Mistakes)

गलतियों से सीखें

एक छोटे से गाँव में रहने वाला रमेश नाम का लड़का हमेशा जल्दबाजी में काम करता था। उसकी आदत थी कि वह काम को बिना पूरी तरह समझे ही शुरू कर देता था। इस कारण से वह बार-बार गलतियाँ करता और उसका नुकसान उठाता।

एक दिन रमेश ने सोचा कि वह अपनी खेत में एक नया कुआँ खुदवाएगा। उसने एक जगह चुनी और बिना सोचे-समझे खुदाई शुरू कर दी। काफी मेहनत और समय लगाने के बाद भी पानी नहीं निकला। रमेश निराश होकर अपने गाँव के बुजुर्ग किसान मोहन चाचा के पास गया।

मोहन चाचा ने उसकी बात ध्यान से सुनी और मुस्कुराते हुए बोले, “रमेश, क्या तुमने यह जगह खुदाई के लिए ठीक से जांची थी?”
रमेश ने सिर झुका लिया और कहा, “नहीं चाचा, मैंने सोचा कि यहाँ खुदाई करूँगा तो पानी जरूर मिलेगा।”

मोहन चाचा ने कहा, “बेटा, कोई भी काम शुरू करने से पहले उसकी सही योजना बनानी चाहिए। गलतियों से घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन उनसे सीखना जरूरी है।”

रमेश ने उनकी बात मान ली। इस बार उसने गाँव के अनुभवी किसानों से सलाह ली, सही जगह चुनी और फिर खुदाई शुरू की। कुछ दिनों की मेहनत के बाद उसे साफ और मीठा पानी मिल गया।

रमेश ने इस घटना से एक अहम सबक सीखा – “जल्दबाजी में किए गए काम से नुकसान होता है। हर गलती हमें सिखाने के लिए होती है। अगर हम गलतियों को सुधारें और उनसे सीखें, तो जीवन में सफलता जरूर मिलेगी।”

उस दिन से रमेश ने हर काम को सोच-समझकर करना शुरू कर दिया और वह गाँव का सबसे बुद्धिमान किसान बन गया।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): गलतियाँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उनसे सीखकर आगे बढ़ना ही सच्ची सफलता है।

5. Hindi Story for Kids: भेड़िया आया! (The Boy Who Cried Wolf)

भेड़िया आया!

एक गांव में एक छोटा लड़का रहता था। वह अपने परिवार की भेड़ों की देखभाल करता था। हर दिन वह भेड़ों को जंगल में चराने ले जाता था और पहाड़ी के ऊपर बैठकर उन्हें देखता था।

एक दिन, लड़का ऊब गया। उसने सोचा, “कुछ मज़ा करना चाहिए।” अचानक उसके दिमाग में एक शरारती विचार आया। उसने ज़ोर से चिल्लाना शुरू किया, “भेड़िया आया! भेड़िया आया! बचाओ!”

गांव के लोग भागते हुए उसकी मदद के लिए आए। लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि भेड़िया तो कहीं नहीं था। लड़के ने ज़ोर से हंसते हुए कहा, “मैं मज़ाक कर रहा था!”

गांव वाले नाराज़ हुए और उसे समझाया कि झूठ बोलना गलत है। लेकिन लड़के ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। कुछ दिनों बाद, लड़के ने फिर वही शरारत की। उसने फिर चिल्लाया, “भेड़िया आया! भेड़िया आया!”

गांव वाले फिर भागते हुए आए, लेकिन इस बार भी उन्होंने देखा कि कोई भेड़िया नहीं था। लड़का फिर हंसने लगा। गांव वाले अब और भी नाराज़ हुए और गुस्से में वापस चले गए।

फिर एक दिन सचमुच एक भेड़िया आया। लड़का डर गया और चिल्लाने लगा, “भेड़िया आया! भेड़िया आया! कृपया मदद करो!”

लेकिन इस बार गांव वाले नहीं आए। वे सोचने लगे कि लड़का फिर से मज़ाक कर रहा होगा। भेड़िए ने भेड़ों पर हमला कर दिया और उन्हें मार डाला। लड़का बहुत पछताया, लेकिन अब कुछ नहीं किया जा सकता था। उसने सीखा कि झूठ बोलने से विश्वास खत्म हो जाता है।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): झूठ बोलने से दूसरों का विश्वास खो जाता है। सच्चाई ही सबसे बड़ा गुण है।

6. Hindi Story for Kids: किसान और सारस (The Farmer And The Stork)

किसान और सारस

एक बार की बात है, एक किसान अपने खेतों में पक्षियों से परेशान था। पक्षी उसके खेतों में आकर बीज खा जाते थे और फसल को खराब कर देते थे। परेशान होकर किसान ने खेत में जाल बिछा दिया।

अगले दिन किसान ने देखा कि उसके जाल में बहुत सारे पक्षी फँस गए थे। उन पक्षियों के बीच एक सारस भी फँसा हुआ था। सारस किसान से बोला,
“हे किसान, कृपया मुझे छोड़ दीजिए। मैं एक साधारण और निर्दोष पक्षी हूँ। मैं तो बस यहाँ गलती से आ गया था। मैं आपकी फसल नहीं खाता।”

किसान ने जवाब दिया, “सारस, हो सकता है कि तुम निर्दोष हो, लेकिन तुम उन पक्षियों के साथ हो जो मेरी फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता।”

कहानी का संदेश (Moral of The Story): बुरे लोगों की संगति करना हमारे लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। अगर इस कहानी में कोई बदलाव या विस्तार चाहिए, तो बताइए!

7. Hindi Story for Kids: कछुआ और खरगोश (The Hare And The Tortoise)

कछुआ और खरगोश

एक बार की बात है, जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ रफ्तार पर बहुत गर्व करता था और हमेशा धीमे चलने वाले कछुए का मज़ाक उड़ाया करता था।

एक दिन कछुए ने खरगोश को चुनौती दी, “अगर तुम में हिम्मत है, तो मेरे साथ दौड़ लगाओ।” खरगोश यह सुनकर हंसा और बोला, “तुम मुझसे दौड़ में जीतने की सोच भी कैसे सकते हो? खैर, मुझे तुम्हें हराने में मज़ा आएगा।”

दौड़ शुरू हुई। खरगोश जल्दी से दौड़ते हुए कछुए से बहुत आगे निकल गया। उसने सोचा, “कछुआ तो मुझसे बहुत पीछे है। मुझे आराम करना चाहिए।” खरगोश एक पेड़ के नीचे लेटकर सो गया।

इधर कछुआ धीमे-धीमे, लेकिन लगातार चलता रहा। वह मेहनत और धैर्य से आगे बढ़ता रहा। आखिरकार, उसने खरगोश को सोता हुआ पाया और फिनिश लाइन पार कर ली।

जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ पहले ही जीत चुका था। वह हैरान और शर्मिंदा हुआ। कछुए ने उसे सिखाया, “धैर्य और निरंतर प्रयास से जीत हमेशा संभव है।”

कहानी का संदेश (Moral of The Story): इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड और लापरवाही से सफलता नहीं मिलती, जबकि मेहनत और धैर्य से हम हर चुनौती को पार कर सकते हैं।

8. Hindi Story for Kids: चींटी और कबूतर की कहानी (The Ant And The Dove)

चींटी और कबूतर की कहानी

एक दिन की बात है, गर्मी का मौसम था। एक चींटी बहुत प्यास से बेहाल हो रही थी। वह पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। चलते-चलते वह एक नदी के किनारे पहुँच गई।

नदी का पानी साफ और ठंडा था। चींटी ने पानी पीने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही वह किनारे पर झुकी, उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई। चींटी बहाव में बहने लगी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करने लगी।

उसी समय, एक पेड़ पर बैठा कबूतर यह सब देख रहा था। उसने तुरंत चींटी की मदद करने का सोचा। कबूतर ने झट से एक पत्ता तोड़ा और उसे नदी में फेंक दिया। चींटी ने पत्ते को पकड़ लिया और अपनी जान बचा ली।

चींटी ने कबूतर की तरफ देखा और अपनी छोटी आवाज़ में धन्यवाद कहा। कबूतर ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्तों की मदद करना हमारा फर्ज़ है।”

कुछ दिनों बाद, वही चींटी जंगल में घूम रही थी। उसने देखा कि एक शिकारी अपने जाल के साथ उसी कबूतर को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। शिकारी धीरे-धीरे कबूतर के पास पहुंचने लगा।

चींटी ने तुरंत समझ लिया कि उसे कुछ करना होगा। वह चुपचाप शिकारी के पास पहुंची और उसके पैर पर जोर से काट लिया। शिकारी दर्द से चिल्ला उठा और उसका ध्यान भटक गया। इसी बीच, कबूतर उड़कर वहां से दूर चला गया।

इस तरह, चींटी ने कबूतर की मदद करके अपनी दोस्ती का कर्ज चुका दिया।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): दूसरों की मदद करने से हमेशा अच्छे परिणाम मिलते हैं। संकट के समय सच्चे दोस्त काम आते हैं।

9. Hindi Story for Kids: बंदर और डॉल्फ़िन (The Monkey And The Dolphin)

बंदर और डॉल्फ़िन

एक बार की बात है, एक व्यापारी ने कई जानवरों को अपने साथ जहाज़ पर लिया और समुद्र यात्रा पर निकला। उन जानवरों में एक चालाक बंदर भी था।

यात्रा के दौरान, समुद्र में भयंकर तूफान आया। जहाज डगमगाने लगा और यात्री इधर-उधर भागने लगे। अचानक जहाज पलट गया, और सभी लोग और जानवर पानी में गिर गए।

बंदर, जो तैरना नहीं जानता था, डूबने ही वाला था कि एक डॉल्फ़िन वहाँ आ गई। डॉल्फ़िन ने बंदर को अपनी पीठ पर बैठा लिया और उसे सुरक्षित किनारे तक ले जाने लगी।

रास्ते में, डॉल्फ़िन ने बंदर से पूछा, “तुम कहाँ से हो? और क्या तुम इस इलाके को जानते हो?”
बंदर ने बड़े गर्व से झूठ बोला, “मैं एक बहुत बड़े और प्रसिद्ध शहर का राजा हूँ। पूरा इलाका मेरे नियंत्रण में है।”

डॉल्फ़िन को बंदर की बातों पर शक हुआ। उसने पूछा, “अगर तुम राजा हो, तो क्या तुम मुझे अपने शहर में ले जाओगे?”
बंदर ने तुरंत कहा, “हाँ, क्यों नहीं! मेरा शहर बहुत सुंदर है, और वहाँ तुम्हारे जैसे शानदार प्राणी का स्वागत होगा।”

डॉल्फ़िन को अब यकीन हो गया कि बंदर झूठ बोल रहा है। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “तो तुम सच में राजा हो? तो फिर तुम्हें अपनी जगह वापस जाना चाहिए।”

इतना कहकर डॉल्फ़िन ने बंदर को पानी में गिरा दिया और तैरती हुई दूर चली गई।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): झूठ बोलने और घमंड करने से हमेशा नुकसान होता है। हमें हमेशा ईमानदार और विनम्र रहना चाहिए।

10. Hindi Story for Kids: लोमड़ी और सारस (The Fox And The Stork)

लोमड़ी और सारस

एक बार की बात है, एक लोमड़ी और एक सारस जंगल में रहते थे। दोनों अच्छे मित्र थे। एक दिन लोमड़ी ने सोचा कि वह सारस के साथ मजाक करेगी। उसने सारस को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया।

सारस खुशी-खुशी लोमड़ी के घर पहुंचा। लोमड़ी ने खाने में स्वादिष्ट खीर बनाई। लेकिन चालाक लोमड़ी ने खीर को एक सपाट थाली में परोसा। लोमड़ी आराम से अपनी खीर खाने लगी, लेकिन सारस अपनी लंबी चोंच के कारण खीर नहीं खा पाया। वह भूखा रह गया और दुखी मन से घर लौट गया।

कुछ दिनों बाद सारस ने लोमड़ी को अपने घर पर खाने का न्योता दिया। लोमड़ी तुरंत मान गई और सारस के घर पहुंची। सारस ने स्वादिष्ट सूप बनाया और उसे एक लंबी और संकरी गर्दन वाले मटके में परोसा।

इस बार लोमड़ी सूप नहीं पी सकी क्योंकि उसकी थूथन मटके के अंदर नहीं जा रही थी। जबकि सारस आराम से सूप पी रहा था। अब लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सारस से माफी मांगी और वादा किया कि वह भविष्य में किसी के साथ ऐसा मजाक नहीं करेगी।

कहानी का संदेश (Moral of The Story): जैसा व्यवहार आप दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही व्यवहार आपके साथ भी किया जाता है। दूसरों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करें।

निष्कर्ष (Conclusion):

इस तरह, बच्चों के लिए हिंदी कहानी (Hindi Story for Kids) लेख से आप अपने बच्चो को यह सीखा सकते है कि मेहनत और ईमानदारी से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। अपनी समझदारी और धैर्य से न केवल अपनी समस्या का हल निकाले, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित किया जा सकता हैं। बच्चों के लिए हिंदी कहानी (Hindi Story for Kids) के इस लेख से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए, और हर परिस्थिति में सही रास्ता चुनना चाहिए।

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